हरी पर्वत किला,श्रीनगर

हरी पर्वत किला,श्रीनगर

हरि पर्वत किला कैसे पहुंचे

आगे बढ़ते हुए सबसे पहले आप देख पाएंगे गुरुद्वारा। फिर काठी दरवाजे को cross करने के बाद right hand side में आपको मिलेगा institute of mental health and neurosciences kashmir। फिर हरी पर्वत की तलहटी में आपको मिलेगा बादामवारी। अगर आप बसंत ऋतु यानी मार्च april में यहां आते है तो बादामवारी गार्डन भी जरूर visit कीजिएगा। उस time में ये garden आपको खुला हुआ मिलेगा। और almond blossom आप देख पाएंगे।

हरी पर्वत श्रीनगर के rainawari में स्थित है श्रीनगर में Dal gate पे पहुंचकर left turn वाले road पे बढ़ा जाए तो हम रैनावारी की ओर जा पाएंगे। मै आपको थोड़ा और clear कर दूं कि dal gate से right turn वाले road से dal lake के ghat no. 1,2, 3 और सारे ghat शुरू होते है। शंकराचार्य मंदिर, चस्मे शाही, परी महल, ट्यूलिप गार्डन, और बाकी के मुग़ल gardens सारे dal gate से right side वाले road की तरफ पड़ेंगे। और dal gate से left की ओर मुड़ने पे बादामवारी बाग, हरिपर्वत fort और हजरत बल दरगाह मिलेगा। तो dal gate से left turn वाले road पे हम आगे चलते है

Fort की तरफ उपर की ओर जाने वाले इकलौते रास्ते के लिए नीचे ही आपको ticket लेनी पड़ेगी। Adult की ₹24 और children की ₹12rs टिकट रेट है। यहां Security inquiry के लिए आपकी Identity card मांगी जा सकती है। vehicle का RC और driver का driving licence check होगा। फिर आप vehicle उपर कुछ दूरी तक ले जा सकते है। ऊपर आपको एक और security check से गुजरना पड़ेगा । यहां से आगे आपका vehicle नही जायेगा। सीढ़िया चढ़कर आगे जाने के लिए आपको अपना एक ID card वहां security में जमा करना होगा जो वापसी में आपको लौटा दिया जायेगा। फिर complete security जांच से गुजरना होगा। यहां security की जिम्मेदारी सेना को दी गई है। ये ऐतिहासिक धरोहर archeological department के अंतर्गत है। इस किले को किसी भी तरह का नुकसान न हो और साथ ही इसकी खूबसूरती बनी रहे , इसके लिए सुरक्षा के ये सारे खास इंतजाम किए गए हैं। इसलिए, हमारे इस ऐतिहासिक धरोहर के सुरक्षा में तैनात सेना को मेरा सलाम।

किले के अलावा पहाड़ी पर मां सारिका देवी का मंदिर भी है। किले की ओर जाने वाली सीढ़िया पे चलते हुए कुछ दूरी पे ही हम इस मंदिर को देख पाएंगे। पर मंदिर का main entrance पहाड़ के तलहटी पे है और मंदिर तक पहुंचने के लिए 108 पत्थरों की सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। आप मंदिर में प्रवेश सुबह के 6 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक कर सकते हैं। मंगलवार के दिन मंदिर में भव्य आयोजन किया जाता है।

कश्मीरी हिंदू विक्रमी calender के अनुसार बसंत ऋतु मे नये साल के आगमन को “नवरेह” के नाम से celebrate करते है और उस दिन सारिका देवी मंदिर मे माँ का आशीर्वाद लेने अच्छी खासी भीड़ देखी जा सकती है। मां सारिका देवी को महा त्रिपुरा सुंदरी और राज राजेश्वरी के नाम से जाना जाता है। और मां सारिका स्थानीय निवारियों द्वारा इष्ट देवी के रूप में पूजी जाती हैं।

मंदिर के अवाला यहां हजरत हमजा मखदूम की दरगाह भी मौजूद है। जो हरी पर्वत के दक्षिण की तरफ मौजूद है। हमजा मखदूम कश्मीर के एक प्रसिद्ध सूफी संत, बुद्धीजीवी और एक आध्यात्मिक गुरू थे। जो आगे महबूब-उल-आलम ( ज्ञान का प्रेमी) और सुल्तान-उल-अरिफिन ( उन लोगों में प्रमुख जो भगवान को जानते हैं) के नाम भी से जाने गए। हमजा मखदूम का जन्म कश्मीर में हुआ था और उन्होंने अपनी अंतिम सांसे भी कश्मीर में ही लीं। जिनके नाम का तीर्थस्थान आज श्रीनगर के हरि पर्वत पर हजरत हमजा मखदूम की दरगाह के रूप में जाना जाता है। जहां मत्था टेकने के लिए रोजाना कई लोग आते हैं।

हरी पर्वत किले के एक ओर मुसलमानों की मकदूम साहिब की जियारत है, दूसरी ओर हिन्दुओं का शारिका देवी मंदिर है। और पर्वत के तल में गुरुद्वारा छट्टी पादशाही भी है। इसके बारे में कहा जाता है कि सिखों के छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह यहां आए थे। इस तरह हम कह सकते है कि ये किला कई धर्मो को समेटे हुए है।

हरि पर्वत किले का इतिहास

हरि पर्वत किला एक ऐतिहासिक धरोहर है जो भारत के जम्मू-कश्मीर के शहर श्रीनगर में स्थित है।यह किला एक छोटी पहाड़ी के उपर बना हुआ है जिसका नाम हरि पर्वत है। हरि पर्वत को कोह-ए-मारन के नाम से भी जाना जाता है, जो श्रीनगर में डल झील के पश्चिम में स्थित है और इसी पहाड़ी के नाम पर किले का नाम हरि पर्वत किला पड़ गया।

इस साइट पर सबसे पहले मुगल सम्राट अकबर थे जो किले के निर्माण की योजना बनाए थे और इसी योजना के तहत 1590ई में किले के लिए एक बाहरी दीवार का निर्माण कराया गया था जिसमे एक entrance bh बनवाया गया था जिसे आज काठी दरवाजा के नाम से जाना जाता है। हालाँकि ये परियोजना कभी पूरी नहीं हुई। और वर्तमान किला 1808 में दुर्रानी साम्राज्य के कश्मीर प्रांत के गवर्नर अता मोहम्मद खान के शासनकाल में बनाया गया और इसी कारणइस किले को Durrani fort भी कहा जाता है।

यहाँ मुगलकालीन वास्तुकला की कुछ झलक देखी जा सकती है। किले की दीवारें, प्रवेश द्वार, परिसर में मौजूद वृक्ष देखने लायक हैं। हालांकि इसे बनाने के लिए खास वास्तुकला का प्रयोग नहीं किया गया है लेकिन इसकी खूबसूरती बेमीशाल है। इस किले की दीवार 200 फीट ऊंची है और चारों तरफ गार्डरूम बने हुए हैं। विशाल परिसर दो स्तरों में विभाजित है और दोनों में तालाब है। हथियार और गोला बारूद रखने के लिए बहुत से बैरक बने हुए है। रक्षात्मक दीवार में गोलाबारी के लिए नियमित मोर्चों का निर्माण यहाँ बखूबी किया गया है। करीब ढाई सौ (250) से भी ज्यादा सीढ़ियों की चढ़ाई करके ही पूरी तरह इस खूबसूरत किले का दीदार आप कर पाएंगे। किला ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जिसके कारण किले के आस-पास का दृश्य बेहद खूबसूरत दिखाई देता है

पर्यटन विभाग के कार्य

1990 के दशक में कश्मीर में अशांत माहौल के कारण के किले मे पर्यटको का प्रवेश बंद कर दिया गया था। बहुत साल तक किला छावनी मे तब्दील रहा और यहाँ के धार्मिक स्थल भी उपेक्षित रहे। पर 2007 में 18 वर्षों के बाद tourists और आम जनता के लिए किले को खोल दिया गया था। जिससे “कलाई अंधेर” भीतरी दीवारों और “बादामवीर” बादाम का बाग के निर्देशित पर्यटकों को अनुमति मिल गई थी। 2007 मे पर्यटन विभाग द्वारा किले के खोले जाने पे भी भीड़ ज्यादा नही आ रही थी क्युकी वहाँ की हालत इतनी खस्ता थी कि अगर कोई एक बार वहां जाता तो वो दुबारा नहीं जाना चाहता। इसलिए इसके जीर्णोधार पर सरकार का ध्यान गया।

किले के आसपास का क्षेत्र पर्यटन विभाग की निगरानी में है। किले की सीढ़ियों की मरम्मत का काम पूरा हो चुका है जबकि किले के बाहर रेटोरेंट भी बनाया जा रहा है। पहाड़ी पर शहर खास से किले की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर कई जगहो पर “व्यूइंग डेक” बनाने की योजना बनाई गई है। कुछ एक तो तैयार भी हो गए है। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अब किले में लाइट एंड साउंड शो शुरू करने की तैयारियां हो रही है। इस परियोजना की राय 2018 में ही रखी गई थी। उम्मीद है पर्यटक यहां जल्द इसका लुत्फ उठा सकेंगे।

तो ये थी जानकारी भारत की एक ऐतिहासिक धरोहर हरि पर्वत fort के बारे में। इस तरह के ऐतिहासिक किले हमें अपने देश के गौरवमय इतिहास को याद दिलाते है। तो अगर आप srinagar आते है तो hari parbat fort जरूर देखने आये। बसंत ऋतु यानी march- april मे यहाँ आते है तो हरि पर्वत के तलहटी मे मौजूद बादामवारी बाग को भी जरूर देखे। इस time Almond blossoms की भीनी भीनी खुशबू के साथ बाग बेहद ही खूबसूरत नजर आता है।

ऐसी ही जानकारी के लिए आप visit करें vacationgraphs.com

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